देश के विभिन्न हिस्सों में आज एक के बाद एक आपदाएं देखने को मिलीं। जहां दिल्ली-NCR में गुरुवार सुबह तेज़ भूकंप के झटकों ने लोगों को दहला दिया, वहीं भारी बारिश के कारण सड़कों पर जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इसी दौरान गुजरात के वडोदरा में एक पुल ढह गया, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लापता हैं।
दिल्ली-NCR में भूकंप से हड़कंप
गुरुवार सुबह करीब 9:04 बजे दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद समेत NCR के बड़े हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 4.4 रही और इसका केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में 10 किलोमीटर गहराई पर स्थित था।
लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए और कुछ इलाकों में बिजली की आपूर्ति भी कुछ देर के लिए बाधित रही। हालांकि, अब तक किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है।
बारिश बनी आफत, NCR में जलभराव
दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले 48 घंटों से हो रही मूसलधार बारिश के चलते कई इलाकों में जलभराव हो गया है। गुरुग्राम, द्वारका, मयूर विहार, पालम, रोहिणी, लक्ष्मी नगर और मथुरा रोड जैसे इलाकों में पानी भरने से यातायात बाधित हुआ। स्कूलों में उपस्थिति भी प्रभावित रही।
NDRF और नगर निगम की टीमें जलनिकासी के प्रयासों में जुटी हैं, लेकिन लगातार बारिश के कारण राहत कार्यों में रुकावटें आ रही हैं।
वडोदरा में पुल हादसा, 15 की मौत
गुजरात के वडोदरा में एक बड़ा हादसा उस समय हुआ जब बारिश के कारण एक पुराना पुल भरभराकर गिर गया। हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि तीन लोग लापता हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुल पहले से जर्जर था और स्थानीय लोगों ने प्रशासन को इसकी जानकारी भी दी थी, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया।
स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। मुख्यमंत्री ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
प्रशासन ने की लोगों से अपील
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भूकंप के दौरान लिफ्ट का उपयोग न करें, खुले स्थान में जाएं।
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बारिश व जलभराव वाले इलाकों से बचें, जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें।
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पुराने पुलों या कमजोर संरचनाओं के पास न जाएं और प्रशासन को जानकारी दें।
निष्कर्ष
एक ही दिन में भूकंप, बाढ़ और पुल हादसे की त्रासदियों ने सरकार और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह की घटनाएं मानसून के दौरान आम होती जा रही हैं, जिनसे निपटने के लिए एक सुदृढ़ और सक्रिय रणनीति की आवश्यकता है।